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अगला यथार्थ

हिमांशु जोशी

प्रकाशक : पेंग्इन बुक्स प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :258
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 7147
आईएसबीएन :0-14-306194-1

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हिमांशु जोशी की हृदयस्पर्शी कहानियों का संग्रह...

एक बार फिर


जल को जल में समा देने के पश्चात जैसे फिर उसे विभाजित कर देखना संभव नहीं हो पाता, उसी तरह, उम्र के इस पड़ाव पर आकर उन्हें भी कभी-कभी ऐसा ही लगता है ! लगता है कल्पना और यथार्थ यानी यथार्थ और कल्पना अलग-अलग होते हुए भी क्या सब कहीं एक ही रूप के अनेक प्रतिरूप नहीं?

वे बार-बार आंखें मलकर देखते हैं-कहीं भ्रम तो नहीं ! नहीं-नहीं, कहीं सचमुच में यह सच तो नहीं !

रात में गहरी नींद में सोए-सोए कभी सहसा जग पड़ते हैं। मुंह से झटके से चादर हटाते हैं तो सामने एक आकृति दिखती है। लगता है, सामने कोई उनकी ओर पीठ किए न जाने कब से खड़ा है ! या बैठा है। चुप।

भय तो लगता है क्षणभर ! परंतु उनकी विस्फारित आंखें, अपलक उस पर टिकी रहती हैं।

धीरे-धीरे आकृति धुंधलाने लगती है और वातावरण में विलीन हो जाती है !

वे अचकचाकर चारों ओर देखते हैं।

गहरी नीरवता है। बाहर की रोशनी परदे को पार कर भीतर आ रही है। और अब वहां शून्य के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है।

प्रायः विभिन्न रूपों में, भिन्न-भिन्न खामोश आकार दिखते और इसी तरह हवा में विलीन हो जाते हैं।

सोते समय या दिन में जागते वक्त ऐसा कोई भाव नहीं होता कि मन को यह कहकर समझा लिया जाए कि दिन में अवचेतन में कहीं ऐसा कोई बिंब रह गया हो, जो इस रूप में प्रकट हो रहा हो !

सहसा गहरी निद्रा से क्यों जागे? दृष्टि वहीं पर क्यों टिकी? वह आकार क्या है? क्यों है?

पहले मन में बड़ा भय लगता था-कहीं कुछ संशय भी। परंतु अब वे इस तरह की घटनाओं के इतने अभ्यस्त हो गए हैं कि जागने पर फिर नींद में व्यवधान नहीं पड़ता। बड़े सहज-भाव से वे फिर चादर सिर तक तान लेते हैं और फिर नींद के आगोश में समा जाते हैं।

उन्हें लगता है कि पिछले तीन-चार वर्षों से वे लगातार मृत्यु से जूझ रहे हैं। एक गंभीर बीमारी से भली-भांति मुक्त नहीं हो पाए कि दूसरी, उससे भी भयंकर व्याधि आ घेरती है।

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    अनुक्रम

  1. कथा से कथा-यात्रा तक
  2. आयतें
  3. इस यात्रा में
  4. एक बार फिर
  5. सजा
  6. अगला यथार्थ
  7. अक्षांश
  8. आश्रय
  9. जो घटित हुआ
  10. पाषाण-गाथा
  11. इस बार बर्फ गिरा तो
  12. जलते हुए डैने
  13. एक सार्थक सच
  14. कुत्ता
  15. हत्यारे
  16. तपस्या
  17. स्मृतियाँ
  18. कांछा
  19. सागर तट के शहर

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